"मैं ब्रह्मनाद ॐ हूँ"

ॐ जो एक शब्दब्रह्म के रूप में जाना जाता है, यह हिन्दू धर्म का एक बहुत ही पवित्र शब्द है, जो अपने में पूरी सृष्टि को समाये हुए है । इस शब्द की उत्पत्ति राजा भरत ने सूर्यवंशियों और चन्द्रवंशियों के एकता हेतु की थी । यह तीन रंगों में रंगी हुई है, इसके ऊपरी हिस्सा सफेद रंगों में है, जो चन्द्रवंशियों के बारे में बताता है, इसके नीचे का हिस्सा लाल रंग का है, जो सुर्यवंश को इंगित करता है । और यह दोनों हिस्से जहाँ आकर मिलते हैं, वह नारंगी रंग में रंगा होता है, जो एक समान मार्ग पर चलने को दर्शाता है । और इस ऊ के ऊपर जो चाँद(दूज का चाँद) और इस चंद्रमा के ठीक ऊपर ही बिंदु स्थित है वह सूर्य है जो उस समय के चन्द्रवंशियों और सूर्यवंशियों के तात्कालिक प्रतीक के रूप में स्थापित थे ।

इस पवित्र शब्द के गुणगाण के लिए मैंने भी कुछ पंक्ति अपनी कविता के रूप में पिरोया है,उसका मजा लीजिए व अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें तथा इसे और भी सनातन धर्मों के जनों तक शेयर करके पहुंचाए ।

तेरी धरा, जिसमें समाये,
हाँ मैं वही व्योम हूँ,
सचराचर सृष्टि में व्याप्त,
मैं ब्रह्मनाद ॐ हूँ,

हूँ मैं हर कोने में,
फिर क्यूँ है मुझे तू ढूँढता,
गर लगा तू ध्यान तो,
हर कण में हूँ मैं गूंजता,

जिसे पूरे विश्व ने माना,
मैं वही सत्य सार्वभौम हूँ,
सचराचर सृष्टि में व्याप्त,
मैं ब्रह्मनाद ॐ हूँ,

बनके धारा मैं बह रहा,
सरिता के कल-कल निनाद में,
मैं समाये हूँ गूंगो के,
हर अनकही आवाज में,

सूरज की ताप से जो न पिघला,
हाँ मैं वही मोम हूँ,
सचराचर सृष्टि में व्याप्त,e
मैं ब्रह्मनाद ॐ हूँ,

शब्द मैं सूक्ष्म सा,
पर सृष्टि से भी महान हूँ,
हर जीव में जो खेलता,
मैं बस वही एक प्राण हूँ,

क्यूँ मुझे तू ढूँढता दिशा-दिशा,
मैं तो हर कोन(कोण) हूँ,
सचराचर सृष्टि में व्याप्त,
मैं ब्रह्मनाद ॐ हूँ,

तुम रहो मशाल लिए,
मैं खुद में ही एक आग हूँ,
तेरे आँधियों से न बुझ सका,
मैं बस वही चिराग हूँ,

है जिसके नशे में तू झूमता,
हाँ मैं वही रस सोम हूँ,
सचराचर सृष्टि में व्याप्त,
मैं ब्रह्मनाद ॐ हूँ,

हूँ समाये सृष्टि को,
पर मैं असीम-अनंत हूँ,
है अटल सत्य ये,
मैं आदि और अंत हूँ,

जान पराजय जो हो उठ खड़ा,
मैं वो लड़ाकू कौम हूँ,
सचराचर सृष्टि में व्याप्त,
मैं ब्रह्मनाद ॐ हूँ,
मैं ब्रम्हनाद ॐ हूँ....


धन्यवाद🙏

~KISHAN M. SAHU "कलमयोद्धा"
(IG:- @KALAM_YODDHA)

Comments

Post a Comment

Please give your valuable review here

Popular posts from this blog

मोहब्बत या बेवकूफीयत, क्या परोसा जा रहा है आपको?

करके नामर्दों सा काम वो,आज ख़ुद को मर्द कहने चला है...