जईसे मिलगे सबला नवा घर

आपको कविता पढ़ने से पहले इस बात से अवगत कराना चाहूँगा, की मेरी लेखन शैली हिंदी भाषा में ही रही है और यह मेरी छत्तीसगढ़ी में पहली कविता है । हो सकता है मेरे छत्तीसगढ़ी लेखन में कहीं कुछ त्रुटि हो तो उसके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ । 
यह कविता छत्तीसगढ़ राज्य के स्थापना पर आधारित है । जो पौराणिक इतिहास से आधुनिक इतिहास तक एक लंबी चरण प्रक्रिया के बाद 1 नवम्बर सन् 2000 को विश्व पटल पर अपने नक्शे को पूर्ण रूपेण प्राप्त करता है । और जिसे हम छत्तीसगढ़ महतारी के रूप में जानते हैं और इनका अभिनदंन करते हैं । तो आइए आप अपने छत्तीसगढ़ के गौरवशाली इतिहास और इसके निर्माण में अभूतपूर्व सहयोग देने वाले हमारे पुरखों व नेताओं बारे में जानें ।

हमन हरन भइया ठेठ छत्तीसगढ़िया,
मया पिरित के गोठ गोठियाथन बढ़िया,
सुनलो हमर बखान छत्तीसगढ़ के,
सोज्झे गोठियाबो, नो हन असोढ़ीया


कभू जनम लिस इंहा माता कौशल्या,
कभू पड़ीस मर्यादा पुरुषोत्तम के पांव,
धन होगे छत्तीसगढ़ ह ममा बनके,
अउ देखत भांचा म, रामलला के छाँव,


कभू रिहिस ए धरती ह,कोशलराज के दक्षिण,
जिंहा बसिस माता शबरी जइसे राम भक्तिन
पाइस ख्याति, कलिंगकाल म हमर छत्तीसगढ़,
के परदेसी मराठा राजवंश भी,करिस प्रदर्शन शक्तिन,


बनिस राजधानी तुम्माण,रायपुर,
त भाइस कभू सुग्घर रतनपुर
समय समय म बदल बदल के,
राजधानी बनिस खल्लारी अउ जगदलपुर


करिस इंहा के धरती म आके,
सबो कुल वंश मन सुंदर राज,
कभू आईस वाकाटक,नल अउ राजर्षि
त कभू छिन्दक कुल अउ फणीनाग


शासन करिस विदेशी राज्य संग लड़ के
शरभपुरीय,सोम अउ बाणवंशीय राग
विराजिस ऊपर मैकल म पाण्डु 
अउ नीचे बस्तर म बसिस काकतीय बाग


फेर जब अंग्रेजी हुकूमत ह धीरे-धीरे,
गड़ाईस अपन बुरा नजर,
छत्तीसगढ़ भी ओ चिनगारी म लपटागे,
नई बांचीस कोनो गांव अउ नगर,


तब संभालिस 1857 के क्रांति के मोर्चा,
सुरेंद्र,वीरनारायण अउ वीर हनुमान
संगे संग म गेंदसिंह अउ गुण्डाधुर ह
दे दिस अपन जनमभूमि बर प्राण


देश के आजादी बर आईस आघु,
हमर छत्तीसगढ़ के लाल,
नेता बनके उभरिस ठक्कर,
वामन अउ रामदयाल
साथ दिस बैरिस्टर छेदी हर,
रिहिस संग म माधव अउ प्यारेलाल
बढिस साथे म बाजीराव,नारायण,
संगे म आगे उंकर नेता सुंदरलाल


तब पुरखा मन के अतना कोशिश म,
देश के संग छत्तीसगढ़ ह आजादी पाइस
तभे भारत के गोद म बईठके,
सुंदरजी वर्तमान छत्तीसगढ़ के रेखा ल बनाइस

करत प्रयत्न 44 साल ले,
सन 2000 म छत्तीसगढ़ पाएन सुग्घर,
मने मन म हमन हर्शाएन,
जईसे मिलगे सबला नवा घर,
जईसे मिलगे सबला नवा घर ।।

~Kishan M.Sahu

आशा करता हूँ कि यह कविता आपको पसंद आई होगी ।
तो आप सभी से निवेदन है कि आप इसे छत्तीसगढ़ के और भी लोगों तक पहुँचाये ताकि उन्हें भी अपने गौरवमयी इतिहास की जानकारी हो और वो यह कहने में कभी न हिचकिचाये की वह छत्तीसगढ़ से है ।
धन्यवाद🙏💝

Comments

  1. अति सुंदर भाई👌

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद🙏❣️

      Delete
  2. हमर कतका सुघ्घर छत्तीसगढ़🤗👌 इतिहास से लेकर निर्माण तक का बहुत ही सुंदर वर्णन।।,👌👌👍

    ReplyDelete

Post a Comment

Please give your valuable review here

Popular posts from this blog

मोहब्बत या बेवकूफीयत, क्या परोसा जा रहा है आपको?

करके नामर्दों सा काम वो,आज ख़ुद को मर्द कहने चला है...

"मैं ब्रह्मनाद ॐ हूँ"