बेरोजगारी

बेरोजगारी के विषय पर इस कविता को लिखने के लिए जो मुझे प्रेरणा मिली है, वो इंदौर के एक बहुत प्रसिद्ध कवि श्री एकाग्र शर्मा जी से मिली है । मैंने उनकी कोरोना महामारी पर लिखी कविता को सुनकर यह प्रेरणा पायी और हमारे छत्तीसगढ़ में वर्तमान स्थिति को देखकर भी इस विषय पर लिखना जरूरी था । 
क्योंकि हाल ही में जो कुछ घटनाएं यहाँ घटित हुयी है, वह सच में हृदयविदारक है । और इस ज्वलंत मुद्दे को नकारना मेरे लिए बहुत कठिन था, अतः मेरे तरफ से जो बन पड़ा, वह मैंने अपने कविता के शब्दों के रूप में ढाला है । आशा है कि यह कविता आपको पसंद आएगी । कृपया अंत तक पढ़े, अंत में आपकी आनंद दोगुनी हो जाएगी ।

●हाय, हाय ये बेरोजगारी रे,
क्या-क्या दिन दिखलाये,

अब ये दर्द सहा न जाये रे,
क्या-क्या दुःख बतलायें,

बेरोजगारी भत्ते का करके वादा,
नई सरकार है सत्ता में आयी,

भत्ता-वत्ता तो न मिला हमको,
उल्टा भर्ती पर ही रोक लगाई,

अब कटऑफ भी बढ़ता जाए रे,
क्या-क्या दुःख बतलायें,

हाय, हाय ये बेरोजगारी रे,
क्या-क्या दुःख बतलायें...

●बिन परीक्षा पास किये,
डीसी बन गए आशीष भैया,

पिताजी के नाम पर ही,
पार हो गयी इनकी नैय्या,

भर्ती भी निरस्त हुआ जाये रे,
क्या-क्या दुःख बतलायें,

हाय, हाय ये बेरोजगारी रे,
क्या-क्या दुःख बतलायें...


●नहीं चाहता ज्यादा धन-दौलत,
न चाँदी और न सोना,

वेतन बस इतना मिल जाये के,
पाल सकूँ अपना बाबू-शोना,

के सरकारी नौकरी प्यार छीन जाये रे,
क्या-क्या दुःख बतलायें,

अब और सिंगल रहा न जाये रे,
क्या-क्या दुःख बतलायें,


●केंद्र में बैठे कोई कर रहा है, देखो जुमलेबाजी,
NTPC फॉर्म डाले, सदी बीत गयी है आधी,

बेरोजगारों की सुध लेने कोई न आये रे,
क्या-क्या दुःख बतलायें,

हाय, हाय ये बेरोजगारी रे,
क्या-क्या अब दुःख बतलायें,

●विनिवेशीकरण से देखो,
सरकारी को निजी कर डाला,

जो लग गए थे नौकरी में,
वो है अब घर रखवाला,

तो कोई ख़ुद को आग लगाये रे, 
क्या-क्या दुःख बतलायें...

कोई फंदे पे झूलता जाए रे,
कोई इनको बतालाये...


●बेरोजगारी से लड़ने देखो,
करली उन्होंने पूरी तैयारी,

घटाने दर को लाये हैं वो,
नरवा गरवा घुरुआ बाड़ी,

के अब हमसे गोबर बिनवाये रे,
क्या-क्या दुःख बतलायें,

हाय हाय ये बेरोजगारी रे,
क्या-क्या हमसे करवाये...

~Kishan M.Sahu "कलमयोद्धा"

नोट:- इसे कोई राजनीतिक पार्टी के दृष्टिकोण से न देखे, मैंने सिर्फ यह बढ़ रही बेरोजगारी को देखते हुए और बेरोजगारी से जुड़ी वर्तमान घटनाएं,जो घटित हो रही है, उसपर लिखा है। फिर भी किसी को इस कविता की कोई बात आपको ठेस पहुंचाती है,तो उसके लिए मैं व्यक्तिगत रूप से क्षमाप्रार्थी हूँ ।

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